जैसा कि आप सब लोग जानते हैं कि गणेश जी भगवान का तैयार जल्द ही आने वाला है| इसे गणेश उत्सव और विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) के नाम से भी जाना जाता है| गणेश जी भगवान का यह उत्सव हिंदू धर्म का प्रसिद्ध उत्सव है| यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है|
भगवान गणेश जी को कई नाम से जाना जाता है| भगवान गणेश जी को गजानन, विनायक जी महाराज, धूम्रकेतु, एक दांत, वक्र दांत, सिध्दीविनायक, गणपति महाराज आदि नाम से जाना जाता है| गणपति बाबा का यह त्यौहार महाराष्ट्र गुजरात, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है| आज हम यह जानेंगे कि Ganesh Chaturthi 2024 Visarjan Date कब है, और यह तैयार की शुरुआत कब होगी|
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Ganesh Chaturthi 2024 Visarjan Date: Updates
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष में हुआ था| और यह महीना हर साल अगस्त और सितंबर के दौरान ही आता है| साल 2024 में भगवान गणेश जी का जन्म 7 सितंबर 2024 को आ रहा है| और भगवान गणेश जी का मूर्ति विसर्जन (Ganesh Chaturthi 2024 Visarjan Date) कार्यक्रम 17 सितंबर 2024 को है|
विनायक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त 2024 में 6 सितंबर को शाम को 3:00 बजे शुरू होगा | और यह शुभ मुहूर्त शाम को 5:37 तक रहेगा| विनायक जी महाराज की पूजा का शुभ मुहूर्त 7 सितंबर को सुबह 11:03 से शुरुआत होकर दोपहर को 1:34 तक रहेगा|
Ganpati Visarjan 2024 Start and End Date
Ganesh Chaturthi Start | Subday, 07 Sep 2024 |
End Date | Tuesday, 17 Sep 2024 |
Ganesh Chaturthi Tithi Start | Friday, 06 Sep 2024 03:01 PM |
Chatutthi Tithi End | Saturday, 07 Sep 2024, 05:37 PM |
Ganpati Puja Muhurt | 11:03 AM to 01:34PM on 07 Sep 2024 |
Ganesh chaturthi 2024 visarjan date and time | Tuesday 17 Sep 2024 |
Significance | Birth of Bhagwan Ganesh Ji |
गणेश चतुर्थी का महत्त्व
गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता (विघ्नों को हरने वाला) और बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता माना जाता है। यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में आता है।
गणेश चतुर्थी का इतिहास (History Of Ganesh Chaturthi)
गणेश चतुर्थी की शुरुआत छत्रपति शिवाजी महाराज ने की थी, जो इसे एक सार्वजनिक उत्सव के रूप में मनाते थे। इस त्योहार को सार्वजनिक रूप से मनाने की परंपरा को लोकमान्य तिलक ने 1893 में पुनः शुरू किया था। तब से यह त्योहार महाराष्ट्र और भारत के अन्य हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
भगवान गणेश की कथा
भगवान गणेश का जन्म माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र के रूप में हुआ था। एक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने अपनी उबटन से गणेश जी की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण फूंक दिए। उन्होंने गणेश जी को दरवाजे पर पहरा देने के लिए कहा जबकि वे स्नान कर रही थीं। जब भगवान शिव वापस आए और गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोका, तो शिव जी ने क्रोधित होकर उनका सिर काट दिया। बाद में पार्वती के रोने पर शिव जी ने गणेश जी को हाथी का सिर लगाकर पुनर्जीवित किया। इस प्रकार गणेश जी को हाथी का सिर प्राप्त हुआ और वे गणपति बन गए।
गणेश चतुर्थी का महत्व
- विघ्नहर्ता: भगवान गणेश को विघ्नों को हरने वाला माना जाता है। लोग उन्हें पूजा करते हैं ताकि वे अपने जीवन से सभी बाधाओं को दूर कर सकें।
- शुभारंभ: किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा से की जाती है, जिससे वह कार्य बिना किसी विघ्न के पूरा हो सके।
- बुद्धि और ज्ञान: गणेश जी को बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि का देवता माना जाता है। विद्यार्थियों और ज्ञान की तलाश करने वालों के लिए उनकी पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
गणेश चतुर्थी का उत्सव
गणेश चतुर्थी के अवसर पर, लोग गणेश जी की मूर्तियों को अपने घरों और पंडालों में स्थापित करते हैं। दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में गणेश जी की पूजा, आरती और भजन किए जाते हैं। गणपति विसर्जन के दिन, मूर्तियों को नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित किया जाता है, जो जीवन की अनित्यता का प्रतीक है।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में एकता और सामूहिकता का संदेश भी देता है। यह त्योहार सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है और इसे बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है।