भगवान श्री गणेश की सभी भक्तजनों को मेरा प्रणाम| यदि आप Ganesh Atharvashirsha Pdf सर्च कर रहे हो तो सही जगह पर आए हो| यहां पर आपको, Ganesh Atharvashirsha Mantra in Hindi लिरिक्स अर्थ के साथ मिल जाएगा | यदि आप इसे डाउनलोड करना चाहते हो तो डायरेक्ट लिंक द्वारा कर सकते हो|
किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी भगवान की पूजा के बिना अधूरी मानी जाती है| गणेश जी भगवान की पूजा और भक्ति के द्वारा सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है| वैसे तो गणेश जी भगवान की पूजा करने के लिए, इस वेबसाइट में आपको कई सारे मंत्र, श्लोक और चालीसा के पाठ मिल जाएंगे| लेकिन इन सब से अलग आज हम गणेश अथर्वशीर्ष लेकर आए हैं, जिसका पाठ करने से तुरंत प्रभाव से इच्छा की पूर्ति होती है| आज हम इस लेख में, इसकी Hindi Lyrics दे रहे हैं|
अथर्वशीर्ष को अथर्ववेद का शिरो भाग भी कहा जाता है| वेद संहिता, ब्राह्मण, आरनयक तथा उपनिषद कर भाग होते हैं जिन्हें श्रुति कहा जाता है| अधिकांश उपनिषद्प्रे अरनियक भाग के अंश होते हैं| अथर्वशीर्ष उपनिषद ही है और अथर्ववेद के अंत में आते हैं| वेद पुराणों के अनुसार यह सर्वे विधाओं की सर्वभूता ब्रह्म विद्या के प्रतिपादक होने के कारण अथर्वशीर्ष कहलाते हैं| पांच देवताओं गणेश जी, शिव जी, शक्ति, विष्णु एवं सूर्य भगवान के अथर्वशीर्ष होते हैं|
अथर्व शीर्ष के माध्यम से अपने इष्ट देव की पूजा की जाती है| और अपने इष्ट देव को ही सर्वो उत्कृष्ट, सर्व नियत पूर्व परम ब्रह्म बताया गया है| इसका मतलब यह है कि यदि आप गणेश जी भगवान को अपने इष्ट देव मानते हो तो गणेश जी भगवान का अथर्वशीष ही अध्ययन करें| आज हम इस लेख में गणेश जी भगवान के अथर्वशीर्ष के बारे में विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे| और इसकी लिरिक्स भी हिंदी में यहां पर दी हुई है| जिसे आप आसानी से पढ़ सकते हो|
Ganesh Atharvashirsha Pdf in Hindi
गणेश जी भगवान के अथर्वशीर्ष की पीडीएफ को डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें| यह पीडीएफ फॉरमैट सरल और हिंदी भाषा में लिखा हुआ है| जिसे कोई भी भक्तगण आसानी से समझ सकता है और पढ़ सकता है|
पीडीएफ का नाम | Ganesh Atharvashirsha Lyrics in Hindi Pdf |
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shri ganesh atharvashirsha pdf Preview
श्री गणेश जी भगवान का अथर्वशीर्ष का पीडीएफ प्रीव्यू यहां पर दिया हुआ है|
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ganesh atharvashirsha easy lyrics (ganesh atharvashirsha ka paath hindi mein)
॥ शान्ति पाठ ॥
ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा ।
भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ॥
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभिः ।
व्यशेम देवहितं यदायुः ॥
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः ।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ॥
स्वस्तिनस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः ।
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥
ॐ तन्मामवतु
तद् वक्तारमवतु
अवतु माम्
अवतु वक्तारम्
ॐ शांतिः । शांतिः ॥ शांतिः॥।
॥ उपनिषत्॥
हरिः ॐ नमस्ते गणपतये ॥
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि ॥ त्वमेव केवलं कर्ताऽसि ॥
त्वमेव केवलं धर्ताऽसि ॥ त्वमेव केवलं हर्ताऽसि ॥
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि ॥
त्वं साक्षादात्माऽसि नित्यम्॥ १॥
॥ स्वरूप तत्त्व ॥
ऋतं वच्मि (वदिष्यामि) ॥ सत्यं वच्मि (वदिष्यामि) ॥ २॥
अव त्वं माम्॥ अव वक्तारम्॥ अव श्रोतारम्॥
अव दातारम्॥ अव धातारम्॥
अवानूचानमव शिष्यम्॥
अव पश्चात्तात्॥ अव पुरस्तात्॥
अवोत्तरात्तात्॥ अव दक्षिणात्तात्॥
अव चोर्ध्वात्तात्॥ अवाधरात्तात्॥
सर्वतो मां पाहि पाहि समंतात्॥ ३॥
त्वं वाङ्मयस्त्वं चिन्मयः ॥
त्वमानंदमयस्त्वं ब्रह्ममयः ॥
त्वं सच्चिदानंदाद्वितीयोऽसि ॥
त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि ॥
त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि ॥ ४॥
सर्वं जगदिदं त्वत्तो जायते ॥
सर्वं जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति ॥
सर्वं जगदिदं त्वयि लयमेष्यति ॥
सर्वं जगदिदं त्वयि प्रत्येति ॥
त्वं भूमिरापोऽनलोऽनिलो नभः ॥
त्वं चत्वारि वाक्पदानि ॥ ५॥
त्वं गुणत्रयातीतः त्वमवस्थात्रयातीतः ॥
त्वं देहत्रयातीतः ॥ त्वं कालत्रयातीतः ॥
त्वं मूलाधारस्थितोऽसि नित्यम्॥
त्वं शक्तित्रयात्मकः ॥
त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यम्॥
त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं रुद्रस्त्वं
इन्द्रस्त्वं अग्निस्त्वं वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चंद्रमास्त्वं
ब्रह्मभूर्भुवःस्वरोम्॥ ६॥
॥ गणेश मंत्र ॥
गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादिं तदनंतरम्॥
अनुस्वारः परतरः ॥ अर्धेन्दुलसितम्॥ तारेण ऋद्धम्॥
एतत्तव मनुस्वरूपम्॥ गकारः पूर्वरूपम्॥
अकारो मध्यमरूपम्॥ अनुस्वारश्चान्त्यरूपम्॥
बिन्दुरुत्तररूपम्॥ नादः संधानम्॥
संहितासंधिः ॥ सैषा गणेशविद्या ॥
गणकऋषिः ॥ निचृद्गायत्रीच्छंदः ॥
गणपतिर्देवता ॥ ॐ गं गणपतये नमः ॥ ७॥
॥ गणेश गायत्री ॥
एकदंताय विद्महे । वक्रतुण्डाय धीमहि ॥
तन्नो दंतिः प्रचोदयात्॥ ८॥
॥ गणेश रूप ॥
एकदंतं चतुर्हस्तं पाशमंकुशधारिणम्॥
रदं च वरदं हस्तैर्बिभ्राणं मूषकध्वजम्॥
रक्तं लंबोदरं शूर्पकर्णकं रक्तवाससम्॥
रक्तगंधानुलिप्तांगं रक्तपुष्पैः सुपूजितम्॥
भक्तानुकंपिनं देवं जगत्कारणमच्युतम्॥
आविर्भूतं च सृष्ट्यादौ प्रकृतेः पुरुषात्परम्॥
एवं ध्यायति यो नित्यं स योगी योगिनां वरः ॥ ९॥
॥ अष्ट नाम गणपति ॥
नमो व्रातपतये । नमो गणपतये । नमः प्रमथपतये ।
नमस्तेऽस्तु लंबोदरायैकदंताय ।
विघ्ननाशिने शिवसुताय । श्रीवरदमूर्तये नमो नमः ॥ १०॥
॥ फलश्रुति ॥
एतदथर्वशीर्षं योऽधीते ॥ स ब्रह्मभूयाय कल्पते ॥
स सर्वतः सुखमेधते ॥ स सर्व विघ्नैर्नबाध्यते ॥
स पंचमहापापात्प्रमुच्यते ॥
सायमधीयानो दिवसकृतं पापं नाशयति ॥
प्रातरधीयानो रात्रिकृतं पापं नाशयति ॥
सायंप्रातः प्रयुंजानो अपापो भवति ॥
सर्वत्राधीयानोऽपविघ्नो भवति ॥
धर्मार्थकाममोक्षं च विंदति ॥
इदमथर्वशीर्षमशिष्याय न देयम्॥
यो यदि मोहाद्दास्यति स पापीयान्भवति
सहस्रावर्तनात्यं यं काममधीते
तं तमनेन साधयेत्॥ ११॥
अनेन गणपतिमभिषिंचति स वाग्मी भवति ॥
चतुर्थ्यामनश्नन्जपति स विद्यावान्भवति ।
स यशोवान्भवति ॥
इत्यथर्वणवाक्यम्॥ ब्रह्माद्यावरणं विद्यात्
न बिभेति कदाचनेति ॥ १२॥
यो दूर्वांकुरैर्यजति स वैश्रवणोपमो भवति ॥
यो लाजैर्यजति स यशोवान्भवति ॥
स मेधावान्भवति ॥
यो मोदकसहस्रेण यजति
स वाञ्छितफलमवाप्नोति ॥
यः साज्यसमिद्भिर्यजति
स सर्वं लभते स सर्वं लभते ॥ १३॥
अष्टौ ब्राह्मणान्सम्यग्ग्राहयित्वा
सूर्यवर्चस्वी भवति ॥
सूर्यग्रहे महानद्यां प्रतिमासंनिधौ
वा जप्त्वा सिद्धमंत्रो भवति ॥
महाविघ्नात्प्रमुच्यते ॥ महादोषात्प्रमुच्यते ॥
महापापात्प्रमुच्यते ॥
स सर्वविद्भवति स सर्वविद्भवति ॥
य एवं वेद इत्युपनिषत्॥ १४॥
॥ शान्ति मंत्र ॥
ॐ सहनाववतु ॥ सहनौभुनक्तु ॥
सह वीर्यं करवावहै ॥
तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ॥
ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा ।
भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ॥
स्थिरैरंगैस्तुष्टुवांसस्तनूभिः ।
व्यशेम देवहितं यदायुः ॥
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः ।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ॥
स्वस्तिनस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः ।
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥
ॐ शांतिः । शांतिः ॥ शांतिः ॥।
॥ इति श्रीगणपत्यथर्वशीर्षं समाप्तम्॥
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ganesh atharvashirsha benefits in hindi
गणेश जी भगवान के इस पाठ का वंदन करने से बहुत सारे फायदाओं की प्राप्ति होती है| आईए जानते हैं कि कौन-कौन से Benefits (फायदे) होते हैं?
- यदि आपके शरीर में किसी भी प्रकार के रोग से निवारण प्राप्त करने के लिए, इसका पाठ किया जा सकता है|
- धन संबंधी समस्या से निवारण पाने के लिए, Ganesh Atharvashirsha Pdf का पाठ किया जाता है|
- पारिवारिक समस्याओं और झगड़ों से निजात पाने के लिए, गणेश अथर्व शीर्ष का पाठ कर सकते हो|
- यदि आप एक वकील है तो किसी भी मुकदमे में जीतने के लिए सुबह के समय इसका पाठ अवश्य करें|
- यदि आप एक व्यापारी हैं तो व्यापार में होने वाले नुकसान से बचने के लिए, व्यापार वाले स्थल पर इसका पाठ अवश्य करें|
- विद्यार्थी, विद्या पाने के लिए बुधवार के दिन इसका अवश्य पाठ करें|
- इसके अलावा किसी भी प्रकार के मनचाहे आशीर्वाद की प्राप्ति करने के लिए गणेश जी भगवान के इस मंत्र का अवश्य पाठ करें|
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गणेश जी भगवान के इस मंत्र का पाठ शाम के समय में अवश्य करें| और बुधवार के दिन इस पाठ का जाप करना बिल्कुल भी ना भूले| यदि आप इसे हमेशा करना चाहते हो तो इससे और भी ज्यादा शुभ लाभ की प्राप्ति होती है| गणेश जी भगवान के इस अथर्व शीर्ष का पाठ करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखें|
- गणेश जी की पूजा के समय तुलसी जी के पत्तों का प्रयोग बिल्कुल भी ना करें|
- बुधवार के दिन, गणेश जी भगवान की सुबह के समय पूजा करें और संध्या काल में इस मंत्र का जाप अवश्य करें|
- यदि आप इसे नियमित रूप से हमेशा करना चाहते हो तो वह भी कर सकते हो|
- इस मंत्र का पाठ करने से पहले स्नान अवश्य कर लें|
- अपने मन के भीतर शांति बनाए रखें|
- धूप बत्ती या दिया अवश्य जलाएं|
- बैठने के लिए आसन का प्रयोग अवश्य करें|
- Ganesh Atharvashirsha Pdf फॉरमैट या प्रिंट फॉरमैट जमीन पर ना रखें|
- इसे अपने हाथों में ही या फिर किसी अन्य वस्तु के ऊपर रख सकते हो|
- अथर्वशीर्ष का पाठ करने के उपरांत गणेश मंत्र को अवश्य पढ़ें|
ganesh atharvashirsha chanting importance
जो कोई भी भक्त गणेश जी की पूजा करता है उस व्यक्ति पर गणेश जी भगवान की अपरम पार महिमा बनी रहती है| गणेश जी भगवान सभी देवताओं में पूजनीय माने जाते हैं| किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत, इन्हीं की पूजा के साथ होती है| Ganesh Atharvashirsha Stotra in Hindi को अथर्ववेद से लिया हुआ है| गणेश जी भगवान को गजानन, गणपति, लंबोदर, एकदंत, दयावंत, चारभुजा धारी आदि नाम से जाना जाता है| यदि आप गणेश जी भगवान पर विश्वास रखते हो तो इस अथर्वशिव का पाठ (Chanting) अवश्य करना चाहिए| इससे मन चाहा वरदान और शक्ति प्राप्त की जा सकती है| इसके अलावा भक्तगण मानसिक और आध्यात्मिक शांति के लिए भी, इसका पाठ करते हैं|
अंतिम वाणी
गणेश अथर्वशीर्ष हमें अपार आध्यात्मिकता और प्रेरणा देता है। यह विशेष पाठ हमें गणेश भगवान (Lord Ganesh Ji) के साथ हमारे संबंध को मजबूत करता है और हमारी आत्मा को उनकी कृपा से संपूर्णता की दिशा में ले जाता है। Shree Ganesh Ji अथर्वशीर्ष हमें संजीवनी शक्ति देता है, जो हमारे जीवन में सफलता, खुशियां और आनंद की प्राप्ति में मदद करती है। Ganesh atharvashirsha pdf in hindi हमें शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक संपूर्णता की अनुभूति दिलाता है।
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